Published On: Tue, May 24th, 2016

ताज महलः एक ज्योतिर्लिंग मंदिर-सौ प्रमाण (भाग दो) – Agniveer

मंदिर परंपराएं

9. ताज महल शब्द, शिव मंदिर के वाचक संस्कृत शब्द ‘तेजो महालय’ का बिगड़ा हुआ रूप है. आगरा के स्वामी- अग्रेश्वर महादेव – यहां प्रतिष्ठित किए गए थे.

10. ताज महल में संगमरमरी चबूतरे पर चढ़ने से पहले जूते-चप्पल इत्यादि उतारे जाने की परंपरा बहुत प्राचीन है, जो कि शाहजहां से भी बहुत पूर्व, जब कि ताज महल एक शिवालय था तब से चली आ रही है. यदि ताज एक मक़बरा ही होता, तो वहां जूते आदि उतारने की आवश्यकता ही नहीं थी बल्कि दफ़न भूमि में तो अनिवार्य रूप से जूते-चप्पल पहने जाते हैं.

11. पर्यटक यह देख सकते हैं कि संगमरमरी तहखाने में बनी कब्र की आधारशिला सफ़ेद रंग की बिलकुल सादी है, जब कि उसकी ऊपरी मंजिल और अन्य दो मंजिलों पर बनी तीन कब्रों पर बेल-बूटों की नक्काशी की गई है. इससे पता चलता है कि शिव लिंग का संगमरमरी तल अब भी वहां मौजूद है और मुमताज़ की कब्र मात्र एक छलावा है.

12. संगमरमरी ज़ाली की ऊपरी किनारी पर उकेरी गई कलशों की झालर और ज़ाली में जड़े कलश – सभी मिलाकर कुल संख्या 108 है, जो कि हिन्दू मंदिर परंपराओं की एक पवित्र संख्या है.

13. ताज की मरम्मत और रख-रखाव से जुड़े कई व्यक्तियों द्वारा प्राचीन पवित्र शिव लिंग और अन्य मूर्तियों को मोटी दिवारों, गुप्त कक्षों और  संगमरमरी तहखाने के नीचे बनी लाल पत्थरों की मंजिलों में बंद पड़ा देखा गया है. भारतीय पुरातत्व विभाग भी इस बारे में अपनी जिम्मेदारी टाल चुका है. पुरातत्व विभाग कूटनीतिक चालाकी, छद्म नम्रता से और दूरी बनाए रखते हुए अभी तक अप्राप्त ऐतिहासिक दस्तावेजों का अनुसंधान करने के अपने दायित्व से मुकर रहा है.

14. भारतवर्ष में बारह ज्योर्तिलिंग हैं अर्थात बारह मुख्य शिव लिंग हैं. जिन में से एक तेजो महालय अर्थात् तथा-कथित ताज महल है. क्योंकि इस के दिवारों की मुंड़ेर पर नाग की आकृतियां लिपटी हुई हैं, इसलिए लगता है कि यह मंदिर नागनाथेश्वर के नाम से जाना जाता था. शाहजहां के हथियाने के बाद से यह मंदिर अपनी हिन्दू महत्ता खो बैठा है.

15. वास्तु विद्या पर प्रसिद्ध हिन्दू ग्रन्थ विश्वकर्मा वास्तु शास्त्र में उल्लिखित विविध प्रकार के शिव लिंगों में एक तेज लिंग भी है. जो कि हिन्दुओं के आराध्य देव शिव जी का चिन्ह है. ऐसा ही एक तेज लिंग, ताज महल में स्थापित था, इसलिए यह तथा-कथित ताज महल ही तेजो महालय है.

16. ताज महल जहां स्थित है वह आगरा शहर, प्राचीन काल से ही शिव पूजा का केन्द्र रहा है. यहां की धर्मनिष्ठ जनता प्राचीन काल से ही विशेषतः श्रावण मास में रात्री के भोजन से पहले पांच शिव मंदिरों में पूजा करने की परंपरा को निभाती आ रही थी, लेकिन पिछले कुछ सौ सालों से आगरा के निवासी केवल चार प्रमुख शिव मंदिरों – बालकेश्वर, पृथ्वीनाथ, मनकामेश्वर और राज-राजेश्वर के दर्शनों में ही सन्तोष प्राप्त कर रहे हैं.  क्योंकि उनके पूर्वजों द्वारा पूजित पांचवे मंदिर का देवता उनसे छिन गया है. स्पष्ट है कि अग्रेश्वर महादेव नागनाथेश्वर ही यह पांचवे देवता हैं जो तेजो महालय अर्थात तथा-कथित ताज महल में विराजमान थे.

17. आगरा क्षेत्र में जाटों का वर्चस्व रहा है, वे लोग शिव भगवान को ‘तेजा जी’ कहते हैं. इलस्ट्रेटेड़ वीकली ऑफ़ इण्ड़िया के जाट विशेषांक (28 जून,1971) में ज़िक्र है कि जाटों के ‘तेज मन्दिर’ होते थे. इसलिए शिव लिंग के विविध नामों में से एक नाम तेज लिंग भी है. इससे पता चलता है कि ताज महल ही तेज महालय अर्थात् – तेज (शिव) का महान आलय (आवास) है.

 

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