Published On: Sat, May 28th, 2016

ताज महल: एक ज्योतिर्लिंग मंदिर- सौ प्रमाण (भाग छः) – Agniveer

स्थापत्य के साक्ष्य

35. पश्चिमी जगत् के प्रख्यात वास्तुविद् ई.बी. हवेल, मिसेस केनोयर और सर ड़ब्ल्यू. ड़ब्ल्यू. हण्टर के अनुसार ताज महल हिंदू मंदिर की शैली से बनाया गया है. हवेल कहते हैं कि ताज की रूप रेखा, जावा के प्राचीन हिंदू चण्ड़ी सेवा मंदिर की रूप रेखा से मिलती-जुलती है.

36. चार कोनों पर चार छत्र और बीच में गुम्बद यह हिंदू मंदिरों का सर्व व्यापी वैशिष्ट्य है.

37. ताज महल के चार कोनों पर खड़े चार संगमरमरी स्तंभ हिंदू शैली के प्रतीक हैं. वे रात्री में प्रकाश स्तंभ का काम देते थे और दिन में पहरेदारों द्वारा निगरानी के काम में लाए जाते थे. इस तरह के स्तंभ पूजास्थल के चारों ओर की सीमाएं निर्धारित करने के लिए लगाए जाते हैं. आज भी ऐसे स्तंभ हिंदू विवाह वेदी और सत्यनारायण भगवान की पूजा इत्यादि में लगाए जाते हैं.

38. ताज महल का आकार अष्टकोणी है जो कि हिंदू धर्म में विशेष महत्व रखता है. क्योंकि एकमात्र हिंदुओं में ही आठों दिशाओं का विशिष्ट नामकरण किया गया है और प्रत्येक दिशा का अपना एक दैवी पालक नियुक्त किया गया है. ऐसा माना गया है कि किसी वास्तु का शिखर आकाश का संकेत करता है और नींव पाताल को सूचित करती है. बहुधा हिंदू किले, नगर, राजप्रासाद और मंदिर इत्यादि के निर्माण का खाका अष्टकोणी होता है या उस में कुछ अष्टकोणी आकार या आकृति रखी जाती है. ताकि उस में शिखर और नींव मिलाकर सभी दस दिशाएं समाहित हो जाएं. हिंदू मान्यता है कि राजा या परमात्मा का स्वामित्व दसों दिशाओं में होता है.

39. ताज के गुम्बद की चोटी पर त्रिशूल खड़ा है. त्रिशूल के मध्य दण्ड़ की नोक पर दो झुके हुए आम के पत्तों और नारियल सहित एक कलश दर्शाया गया है. यह विशुद्ध हिंदू कल्पना है. हिमालय क्षेत्र में बने हिंदू और बौध्द मंदिरों के शिखर ऐसे ही होते हैं. ताज के लाल पत्थरों से बने पूर्वी आंगन में भी एक पूर्ण आकार का त्रिशूल वाला कलश जड़ा हुआ है. ताज की चार दिशाओं में बने भव्य संगमरमरी मेहराबदार प्रवेशद्वारों के शीर्ष पर भी लाल कमल की पृष्ठ भूमि में त्रिशूल दर्शाए गए हैं. लोग बड़े चाव से किन्तु गलत अवधारणा पर इतनी सारी शताब्दियों से यह मान बैठे हैं कि ताज के शिखर पर इस्लामिक अर्धचंद्र या दूज का चांद दिखाया गया है और उसके ऊपर जो तारा दिखाया गया है, वह जब भारतवर्ष में अंग्रेज शासक आए थे, तब उन्होंने आकाशीय बिजली गिरते समय बचाव के लिए विद्युत वाहक के तौर पर स्थापित किया था. परन्तु इस से विपरीत ताज का शिखर हिंदू धातुशास्त्र का एक चमत्कार है. वह ऐसी धातुओं के मिश्रण से निर्मित है जिस को कभी जंग नहीं लगता और साथ ही जो गिरती हुई बिजली का निरसन करने में भी सहायक होता है.पूर्व दिशा क्योंकि सूर्योदय की दिशा है इसलिए यह दिशा हिंदुओं के लिए विशिष्ट महत्व रखती है और इसलिए ताज के पूर्वी आंगन में जड़ी त्रिशूल वाले कलश की प्रतिकृति हिंदू दृष्टि से महत्वपूर्ण है. ताज के गुम्बद पर जड़े त्रिशूल वाले कलश पर ‘अल्लाह’ खुदा हुआ है जो कि ताज को हड़पे जाने के बाद की निशानी है. लेकिन ताज महल के पूर्वी आंगन में जड़ी त्रिशूल वाली पूर्णाकृति पर ‘अल्लाह’ नाम नहीं है.

 

Source: ताज महल: एक ज्योतिर्लिंग मंदिर- सौ प्रमाण (भाग छः)