Published On: Sat, May 28th, 2016

ताज महल: एक ज्योतिर्लिंग मंदिर- सौ प्रमाण (भाग पांच) – Agniveer

30. एक संस्कृत शिलालेख भी इसकी साक्ष्य देता है कि ताज मूलतः एक शिवालय ही था. इसे बटेश्वर शिलालेख के नाम से पुकारा गया है -जो कि गलत है. वर्तमान में यह शिलालेख लखनऊ संग्रहालय की ऊपरी मंजिल में सुरक्षित है. इस पर संकेत है कि “एक स्फटिक जैसे शुभ्र शिव मंदिर का निर्माण हुआ जो इतना मनोहर था कि उस में निवास करने पर भगवान शिव की वापस कैलाश लौटने की इच्छा ही नहीं रही.” सन् 1155 ईसवी का यह शिलालेख शाहजहां के आदेश पर ताज के बगीचे से हटा लिया गया था. इतिहासकारों और पुरातत्व विदों ने इसे ‘बटेश्वर शिलालेख’ कहने की भारी भूल की है, जबकि प्रमाण के अनुसार यह शिलालेख बटेश्वर में पाया ही नहीं गया था. इस शिलालेख को असल में ‘तेजो महालय शिलालेख’ कहा जाना ही उचित है क्योंकि यह मूलतः ताज के बगीचे में स्थापित था – जिसे वहां से उखाड़ फेंकने का काम शाहजहां के आदेश पर हुआ.

आर्किओलोजिकल सर्वे आफ़ इण्ड़िया के वार्षिक वृत्तांत (प्रकाशित 1874), खंड़ 4, पृष्ठ 216-217, पर शाहजहां द्वारा की गई ताज की तोड़-फोड़ का पता चलता है. इस में लिखा है कि, “भव्य चौकोनी काला बैलेस्टिक स्तंभ तथा उसके साथ का ही दूसरा स्तंभ, उसके शिखर तथा चबूतरे सहित …..जो कि अब आगरा की जमीन में खड़ा है ………
कभी ताज महल के उद्यान में स्थापित थे.”

लुप्त गज प्रतिमाएं

31. ताज निर्माण की बात तो दूर रही, बल्कि काले अक्षरों में कुरान की आयतें ऊपर से लिखवा कर शाहजहां ने ताज का सौंदर्य नष्ट करने का काम किया. साथ ही संस्कृत शिलालेखों, नाना प्रकार की मूर्तियों और दो भव्य गज प्रतिमाओं को बेतरह लूटने का काम भी शाहजहां ने किया. जहां आजकल पर्यटक प्रवेश टिकीट
खरीदते हैं वहां प्रवेश द्वार के स्वागत करने वाले तोरणों के नोक पर इन गज प्रतिमाओं की सूंड़े जुड़ी हुई थीं.
थाॅमस ट्विनिंग की पुस्तक “Travels in India A Hundred Years Ago” के पृष्ठ 191पर लिखा है कि नवम्बर 1794 में -” मैं ताज-ए-महल और उसके आस-पास की इमारतों के प्रांगण में पालकी से उतरा……….और कुछ छोटी-छोटी पैड़ियां चढ़ते हुए उस भव्य प्रवेश द्वार पर पहुंचा, जो “हाथी चौक” की इस दिशा के बीच में था, जैसा कि उस स्थान को कहा जाता था.”

कुरान की पैबन्द पट्टियां

32. ताज महल पर कुरान के चौदह अध्याय जड़े हुए हैं परन्तु इस ऊपरीलेखन में कहीं भी शाहजहां के ताज का निर्माण कर्ता होने का हल्का सा भी जिक्र नहीं है. यदि शाहजहां ताज का बनानेवाला होता, तो इस बात का उल्लेख वह कुरान की आयतें जड़वाने से पहले ही करता.
33. शाहजहां ने ताज महल का निर्माण करने की बजाए काले अक्षरों से आयतें लिखवाकर, उसे मलिन कर दिया. ताज के बाहर लगे शिलालेख में अंकित है कि अमानत ख़ान शिराज़ी द्वारा यह आयतें लिखी गई हैं. इन आयतों के सूक्ष्म निरीक्षण से पता चलता है कि वे रंग-बिरंगे पत्थर के टुकड़ों से पैबंद की तरह प्राचीन शिव मंदिर पर जड़ी गई हैं.

कार्बन 14 जांच

34. यमुना किनारे वाले ताज के द्वार से लकड़ी का एक टुकड़ा लेकर अमेरिकन प्रयोगशाला में कार्बन 14 जांच के लिए भेजा गया था. इस जांच में वह टुकड़ा शाहजहां से 300 वर्ष पूर्व का पाया गया. क्योंकि 11वीं शताब्दी से ही विभिन्न मुस्लिम आक्रान्ताओं द्वारा ताज के द्वार तोड़े जाते रहे, इसलिए समय-समय पर उनका पुनर्निर्माण भी होता रहा. तथापि, ताज की इमारत इससे भी प्राचीन सन्1155 ईसवी की है – अर्थात् शाहजहां से भी 500 वर्ष पूर्व बनी हुई इमारत है – ताज.

 

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